
हम इजरायल से सबक सीख सकते हैं । आखिर कारण क्या है कि एक छोटा सा देश आतंकवादियों को दुत्कारे रहता है ? क्या कारण है कि आतंकवादी वहाँ जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है ? भारत भी जब आतंकवादियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने लगेगा तो ये नृशंस हत्यारे स्वतः भयाक्रान्त हो कर अपनी ही माँ के गोद में जा छुपेंगे और दोज़खनशीं हो जायेंगे । आतंकवादियों , उनके मददगारों और उनके हमदर्दों के लिये 'मानवाधिकार' की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए । याद रहे हत्यारे का मददगार भी हत्यारा ही कहा जाता है , हत्यारा ही माना जाता है ।
सन्त कबीरदास नें यहाँ पहले ही कह दिया था - 'यह तो घर है प्रेम का , खाला का घर नाहिं' । यहाँ जो प्रेम से आता है उसे हम गले से लगा लेते है , हम पूरी दुनिया में प्रेम बाँटते । और अब हम सभी आतंकवादियों को आगाह किये देते हैं कि -
" अग्नि परीक्षा के लिये कदम बढा दिये हैं हमनें ,
3 comments:
सही कहा आपने
सहमत हूँ आपसे !
absolutely true...its about time we did something about these terrorists. Sach me unki himmat nahi honi chahiye fir humla karne ki..aisa kuch karna hai.
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