Saturday 26 January, 2008

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ....

जय हिंद ! आज गणतंत्र दिवस है । आप सभी को बधाई । खेद है कि अस्वस्थ होने के कारण बहुत दिनों के बाद आप सब से रु -ब - रु हो रहा हूँ । आइये , एक बार फिर से राष्ट्र को नमन करें । अपने आन -बान - शान के प्रतीक तिरंगे को याद कर लें ।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ........

अपने राष्ट्र ध्वज में तीन रंग होने के कारण इसे तिरंगा भी कहा जाता है । इसमें समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं जिसमे गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर ,सफ़ेद रंग बीच में तथा हरा रंग सबसे नीचे है । सफ़ेद पट्टी के बीचों बीच में नीले रंग का चक्र है । इस चक्र का प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है । इस चक्र का व्यास सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है तथा इस में चौबीस तीलियाँ हैं । राष्ट्र ध्वज की लम्बाई - चौड़ाई का अनुपात ३ :२ है । भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का यह प्रारूप तत्र दिनांक -२२ जुलाई , सन् १९४७ ई को अपनाया था ।

डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन , जो भारत के प्रथम उप - राष्ट्रपति बने , उन्होंने राष्ट्र ध्वज के रूप में अपनाये जाने वाले इस तिरंगे का सम्पूर्ण अर्थ बताते हुए कहा - केसरिया रंग की पट्टी हमारे कार्य के प्रति उत्साह एवं समर्पण की भावना को प्रदर्शित करता है । बीच का सफ़ेद रंग प्रकाश का प्रतीक है , जो सच्चाई के मार्ग को दिखाता है और हमारे अच्छे आचरण का प्रतीक है । हरा रंग हमारे देश की मिट्टी से हमारे संबंध को प्रकट करता है , यह हमारे देश के हरे -भरे पौधों से हमारे संबंध को दर्शाता है जिस पर सभी का जीवन निर्भर है तथा सफ़ेद पट्टी के मध्य में बने नीले रंग का चक्र हमारी गति , प्रगति का द्योतक है । यह शांतिपूर्वक परिवर्तन का भी सूचक है ।

सरकारी तौर पर जो राष्ट्र ध्वज प्रयोग किया जाता है अमूमन वह खादी का बना होता है । ( कभी -कभी`रेशम ` का भी प्रयोग होता है) । भारतीय ध्वज संहिता ( जो कि तत्र दिनांक -२६ जनवरी सन् २००२ ई० से लागू है ) के अनुसार आम नागरिक , निजी संस्थाओ तथा शिक्षण संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है परन्तु राष्ट्रीय प्रतिष्टा के अनादर की रोकथाम तथा इस विषय से संबंधित अन्य व्यवस्थाओं का पालन करना होगा । राष्ट्र ध्वज को फहराने के नियम का पालन न करना दंडनीय अपराध के तहत आता है ।
शोक के समय राष्ट्र ध्वज को आधा झुकाया जाता है परन्तु स्वतन्त्रता दिवस , गणतंत्र दिवस आदि राष्ट्रीय पर्व के दौरान यदि ऐसी घटना घटती है तो राष्ट्रध्वज को झुकाना वर्जित है । यदि इन दिनों किसी अति महत्वपूर्ण व्यक्ति की मृत्यु होती है तो मात्र उस इमारत या घर पर ध्वज को झुकाया जा सकता है लेकिन शव के उस घर या इमारत से निकलने के बाद फिर से ध्वज फहरा दिया जाता है । संबंधित व्यक्ति की अर्थी या ताबूत पर ध्वज को डाला जाता है लेकिन न तो राष्ट्रध्वज को जलाया जा सकता है और न ही उसे दफनाया जा सकता है ।

अपना राष्ट्रध्वज उत्तरी एवम् दक्षिणी ध्रुव पर ही नहीं वरन विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउन्ट एवरेस्ट पर भी फहराया जा चुका है । सन् १९७१ ई० में अपोलो -१५ के माध्यम से यह अंतरिक्ष में भी यह जा पहुँचा पुनः विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अपनी अंतरिक्ष उड़ान में इसे फिर से लहराया ।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा ...
झंडा ऊँचा रहे हमारा .....

जय हिंद ...........

4 comments:

Sumit(Anokhe) said...

अच्छी जानकारी दी है। ज्ञानवर्धन के लिये आभार।
आप को भी गणतंत्र दिवस की बधाई .....

राजन् said...

जय हिंद, जय भारत ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आप को भी। जो आज के दिन को समझते है,वे इसे महज छुट्टी के तौर पर नहीं देखते। तिरंगे का फहराना,तोपों की सलामी,सैनिकों का कदमताल और आकाश से फूल बरसाते विमानों के नजारे लोकतंत्र की गरिमा का अहसास कराते हैं। आपने जो जानकारी दी है वह जानना जरूरी है और आज की जरूरत भी है। आप को धन्यवाद !

सोनाली सिंह said...

बढ़िया है,मैं आपकी इस पहल की सराहना करती हूँ क्योंकि आमतौर पर सामान्य जन को मूलभूत बातों की जानकारी नहीं होती है और यह भी नहीं मालूम होता है कि ऐसी जानकारी कहाँ से अपनी भाषा में मिल सकती है। आशा है कि आपका ब्लॉग तमाम जिज्ञासाओं को शांत कर सकेगा और तमाम भ्रांतियों को दूर करेगा।
मैं वन्दे मातरम् के विषय में भी जानना चाहती हूँ।

आपके ब्लॉग के लिए हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

Anurag Agrawal said...

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा की जगह पर अब " विजयी चन्द्र तिरंगा प्यारा"